परोपकार नाम की कोई चीज़ नहीं होती, हम तो स्व पर उपकार करते हैं,
सामने वाला अपने पुण्य से अपना काम करा लेता है ।
(ऐसे ही अपकार नाम की कोई चीज़ नहीं होती, हम अपने पापोदय से अपना काम ख़राब करा लेते हैं, सामने वाले से/ सामने वाले को निमित्त बना कर)
Share this on...
4 Responses
उक्त कथन सत्य है कि उपकार नाम की कोई चीज नहीं होती है बल्कि स्वयं पर उपकार करते हैं। जब हम उपकार करते हैं तो सामने वाला पुण्य से अपना कार्य करा लेता है। अपने पापोदय से अपना काम खराब करा लेते हैं, सामने वाले से।
अतः जीवन में जब भी किसी का भला करते हो तो उसका पुण्य का उदय समझना चाहिए ताकि पुण्य की प्राप्ति हो सकती है।
4 Responses
उक्त कथन सत्य है कि उपकार नाम की कोई चीज नहीं होती है बल्कि स्वयं पर उपकार करते हैं। जब हम उपकार करते हैं तो सामने वाला पुण्य से अपना कार्य करा लेता है। अपने पापोदय से अपना काम खराब करा लेते हैं, सामने वाले से।
अतः जीवन में जब भी किसी का भला करते हो तो उसका पुण्य का उदय समझना चाहिए ताकि पुण्य की प्राप्ति हो सकती है।
“सामने वाले से” ya “सामने वाले ke nimitt से” ?
तुम्हारे निमित्त से item में “निमित्त से” भी add कर दिया है ।
आशीर्वाद ।
Okay Uncle.Dhanyawaad.