कर्म और नोकर्म मिलजुल कर फल देते हैं ।
पापोदय हो तो नोकर्म बदल लो (द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव) ।
पुण्योदय में भी सावधानी बरतें ताकि पाप की ओर प्रवृत्ति ना हो जाये ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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पाप का मतलब जो आत्मा को शुभ से बचाए। उपरोक्त कथन सत्य है कि कर्म और नोकर्म मिल जुल कर फल देते हैं, अतः पापोदय हो तो नोकर्म बदलना होगा क्योंकि यह द़व्य,क्षेत्र,काल और भाव पर निर्भर होते हैं। ऐसे ही पुण्योदय में भी सावधानी बरताना होगा ताकि पाप की ओर प़वत्ति न हो जाये।
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पाप का मतलब जो आत्मा को शुभ से बचाए। उपरोक्त कथन सत्य है कि कर्म और नोकर्म मिल जुल कर फल देते हैं, अतः पापोदय हो तो नोकर्म बदलना होगा क्योंकि यह द़व्य,क्षेत्र,काल और भाव पर निर्भर होते हैं। ऐसे ही पुण्योदय में भी सावधानी बरताना होगा ताकि पाप की ओर प़वत्ति न हो जाये।