पुण्योदय में सब श़रीक होने आते हैं जैसे भगवान के कल्याणक के समय ।
पापोदय में वे ही काम आयेंगे जिनके आप पहले काम आये हों जैसे भगवान पारसनाथ के धरणेंद्र/पद्मावती ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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पुण्योदय जो आत्मा को पवित्र करता है या जिससे आत्मा पवित्र होती है उसे कहते हैं।
पापोदय जो आत्मा को शुभ से बचाए अथवा दूसरों के प्रति अशुभ परिणाम होना होता है। अतः यह कथन सत्य है कि पुण्योदय में सब शरीक होने आते हैं जैसे भगवान के कल्याणक के समय लेकिन पापोदय में वे ही काम आवेगे जिनके लिए आप पहले काम आये होंगे जैसे भगवान पार्श्वनाथ के समय धरणेन्द और पद्मावती आये थे।
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पुण्योदय जो आत्मा को पवित्र करता है या जिससे आत्मा पवित्र होती है उसे कहते हैं।
पापोदय जो आत्मा को शुभ से बचाए अथवा दूसरों के प्रति अशुभ परिणाम होना होता है। अतः यह कथन सत्य है कि पुण्योदय में सब शरीक होने आते हैं जैसे भगवान के कल्याणक के समय लेकिन पापोदय में वे ही काम आवेगे जिनके लिए आप पहले काम आये होंगे जैसे भगवान पार्श्वनाथ के समय धरणेन्द और पद्मावती आये थे।