पुरुषार्थ
तुम अगर चाहते तो बहुत कुछ कर सकते थे/ बहुत दूर निकल सकते थे।
तुम ठहर गये, लाचार सरोवर की तरह;
तुम यदि नदिया बनते तो, कभी समुद्र भी बन सकते थे।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
तुम अगर चाहते तो बहुत कुछ कर सकते थे/ बहुत दूर निकल सकते थे।
तुम ठहर गये, लाचार सरोवर की तरह;
तुम यदि नदिया बनते तो, कभी समुद्र भी बन सकते थे।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
One Response
मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने पुरुषार्थ का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन का कल्याण करना हो तो प़त्येक क्षेत्र में पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है।