प्रकृति
चींटी से हाथी तक के भोजन की व्यवस्था प्रकृति ने की है ।
लेकिन भोजन बिगाड़ने पर वह भी बिगड़ जाती है ।
चिंतन
चींटी से हाथी तक के भोजन की व्यवस्था प्रकृति ने की है ।
लेकिन भोजन बिगाड़ने पर वह भी बिगड़ जाती है ।
चिंतन
M | T | W | T | F | S | S |
---|---|---|---|---|---|---|
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 |
8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 |
15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 |
22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 |
29 | 30 | 31 |
6 Responses
उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है – – – – – – – – आनिदकाल से प़कृति के द्वारा सभी प़ाणीओं चाहे मनुष्यों हो या जीव जंतु हों, के भोजन की व्यवस्था की गई थी। आजकल ज्यादातर लोगों द्वारा प़कृति को नष्ट किया जा रहा है. जिसके कारण सभी प़णीओं के लिए भोजन का अभाव हो जायेगा। अतः प़कृति को बचाने के लिए अपना अपना योगदान देने का प्रयास करें। ऐसा करने से अहिंसा के माग॓ पर चलने की प़ेरणा मिलेगी।
Can its meaning be explained please?
भोजन बिगाड़ने पर भोजन सड़ेगा, हिंसा होगी, गरीब का हक़ छिनेगा, प्रकृति का दोहन होगा ।
तो प्रकृति अपना विकराल रूप दिखायेगी न !
प्रकृति का दोहन कैसे होगा ?
जैसा पहली लाइन में कहा गया है…प्रकृति सब जीवों के लिए पर्याप्त सामग्री मुहैया कराती है,
पर जितना बिगाडोगे उतना प्रकृति से ही तो दोहन करोगे न !
2) Waste सड़ने से या किसी का हक़ मारने से, प्रकृति damage होगी, कम(undamaged) portion से अधिक दोहन करना होगा।
Okay.