अभी तो वर्णमाला के “क” (क्रोध. कामादि कर्म) से “ख” (‘ख़राब’ कर्म ‘खाली’ करने ) तक भी गमन नहीं हो पाया है ।
चिंतन
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जब तक क़ोध एवं खराब कम॓ होंगे तब तक प़गति होना मुश्किल है अतः कमोॅ को सुधारने के लिए धम॓ से जुडना चाहिए तभी अपनी सही दिशा में प़गति होगी। प़गति को दो हिस्से में बांटना है पहिले संसारिक एवं दूसरी आध्यात्मिक।
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जब तक क़ोध एवं खराब कम॓ होंगे तब तक प़गति होना मुश्किल है अतः कमोॅ को सुधारने के लिए धम॓ से जुडना चाहिए तभी अपनी सही दिशा में प़गति होगी। प़गति को दो हिस्से में बांटना है पहिले संसारिक एवं दूसरी आध्यात्मिक।