प्रभु-प्रीति

रहने दे मुझको यूँ
उलझा हुआ सा तुझमें ,
सुना है…
सुलझ जाने से
धागे अलग-अलग हो जाते हैं ।

(मंजू)

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One Response

  1. यह कथन बिलकुल सत्य है। प्रभु से प्रीति यानी परम प्रेम और अपने को समपॅण करने से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है। भगवान् के प्रति श्रद्धा, भक्ति और उपासना करने से समपॅण होने की सम्भावना बढ जाती है। समपॅण होने से अपनी समस्या हल होने की संभावना है।

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