प्रमाद / लोभ
मनुष्य पर्याय बहुत पुरुषार्थ से मिली है। यदि हमने प्रमाद( गर्मियों में तो बिस्तर भी कहता है कि जल्दी उठ, पसीने से बिस्तर तर हो रहा है/ दुर्गंध आ रही है) और लोभवश अपना ओटीपी दे दिया तो ध्यान रखना, हमारे आसपास बहुत से हैकर्स बैठे हुए हैं जो हमारे पुण्य का बैलेंस जीरो कर सकते हैं !
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन – 14 अप्रैल)
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प़माद एवं लोभ को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए प़माद एवं लोभ से बचना परम आवश्यक है।