गुरु आज्ञा
मुनि श्री प्रवचनसागर जी को गुरु आज्ञा मिली… अमुक मुनिराज की वैयावृत्ति करने की।
रास्ते में पागल कुत्ते ने काट लिया। इंजेक्शन लगवाने की आचार्य श्री से आज्ञा माँगने पर उन्होंने श्लोक पढ़ दिया। जिसका आशय था मुनि धर्म अहिंसा है। तबियत और बिगड़ी, आचार्य श्री ने आत्मा की याद दिलाते हुए श्लोक बोला। मुनि श्री प्रवचनसागर जी ने पत्र भेजा → शरीर से मुझे लगाव नहीं, बस गुरु आज्ञा पूरी न कर पाने का विकल्प था, अब वह भी नहीं रहा।
मुनि श्री विनम्रसागर जी
4 Responses
मुनि श्री विनम्र सागर महाराज जी ने गुरु आज्ञा का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। जीवन का कल्याण करने के लिए गुरु आज्ञा का पालन करना परम आवश्यक है।
Baad me kya मुनि श्री प्रवचनसागर जी ki samadhi ho gayi thi ?
हाँ।
Okay.