बंध वर्तमान के,
बद्ध (जैसे बद्धायुष्क) जो बंध चुका है/सत्ता में ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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बंध का मतलब कर्म का आत्मा के साथ एकक्षेत्रावगाह होना होता है, अथवा दूध और पानी की तरह कर्म और आत्मा के परस्पर संश्लेष होना बंध कहलाता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि बंध वर्तमान का है और बद्ध जो बंध चुका है या सत्ता में होता है।
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बंध का मतलब कर्म का आत्मा के साथ एकक्षेत्रावगाह होना होता है, अथवा दूध और पानी की तरह कर्म और आत्मा के परस्पर संश्लेष होना बंध कहलाता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि बंध वर्तमान का है और बद्ध जो बंध चुका है या सत्ता में होता है।