बड़ा

अभिमान में-> मैं बड़ा – मैं बड़ा।
मायाचारी में-> तू बड़ा – तू बड़ा।
लक्ष्य……….-> बड़ा मानना।

आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी (9 दिसम्बर)

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One Response

  1. आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने बडा़ को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए जीवन में कभी भी बड़ा का भाव नहीं आना चाहिए।

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