भगवान / भववान
आत्मायें दो प्रकार की →
भगवान = भग (काम) + वान (नष्ट)।
ये अल्प आरम्भ/ परिग्रह तथा शील पालन से।
भववान → जो भवों में प्रवेश करने वाले हैं।
ये बहुपरिग्रह/ आरम्भ तथा मायाचारी (माया है जननी भवों की) से।
परिग्रह का दोष → समय/ सुरक्षा चाहता है। पुलाक तथा वकुश मुनियों को पीछी/ कमंडल से राग होता है। ये दोनों चीजें भी उनका समय चाहती हैं/ उन्हें अपने से दूर ले जाती हैं। फिर जिनके पास 200/2000 चीजें हों उनका क्या हाल होगा !
डॉ. ब्र. नीलेश भैया