पुरुषार्थ से लेखन, जो आगे चल कर भाग्य बन जाता है ।
पर फ़िर पुरुषार्थ से उसे मिटाकर ठीक भी कर सकते हैं ।
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One Response
उक्त कथन सत्य है कि पुरुषार्थ से लेखन, जो आगे चल कर भाग्य बन जाता है,पर पुरुषार्थ से भी मिटाकर ठीक भी कर सकते हैं।
इससे स्पष्ट है कि बिना पुरुषार्थ के भाग्य नहीं बन सकता है न ही मिटा सकते हैं।
अतः जीवन में हर क्षेत्र में पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि भाग्य का निर्माण हो सकता है।
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उक्त कथन सत्य है कि पुरुषार्थ से लेखन, जो आगे चल कर भाग्य बन जाता है,पर पुरुषार्थ से भी मिटाकर ठीक भी कर सकते हैं।
इससे स्पष्ट है कि बिना पुरुषार्थ के भाग्य नहीं बन सकता है न ही मिटा सकते हैं।
अतः जीवन में हर क्षेत्र में पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि भाग्य का निर्माण हो सकता है।