भाग्य की सीमा होती है,
पुरुषार्थ की कोई सीमा नहीं ।
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यह कथन बिलकुल सत्य है। भाग्य तो कमोॅ के आधार पर मिलते हैं लेकिन पुरुषार्थ तो स्वयं वर्तमान में ही करना होता है। पुरुषार्थ करने से कमोॅ का क्षय किया जा सकता है। भाग्य के लिए धमॅ से जुडकर पुरुषार्थ करना चाहिए तभी कल्याण होगा।
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यह कथन बिलकुल सत्य है। भाग्य तो कमोॅ के आधार पर मिलते हैं लेकिन पुरुषार्थ तो स्वयं वर्तमान में ही करना होता है। पुरुषार्थ करने से कमोॅ का क्षय किया जा सकता है। भाग्य के लिए धमॅ से जुडकर पुरुषार्थ करना चाहिए तभी कल्याण होगा।