भावना भाना आवश्यक है, लाभकारक है ,
पर भावना आकुलता रहित होनी चाहिये वरना हानिकारक होगी ।
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जैन धर्म में भावना को बहुत महत्व दिया गया है, भावना के माध्यम से ही उसके परिणाम रहते हैं। अतः भावना भाना आवश्यक है क्योंकि यह लाभदायक है लेकिन भावना आकुलता रहित होना चाहिए वरना वह हानिकारक ही होती है।
अतः जीवन में भावना आकुलता रहित होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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जैन धर्म में भावना को बहुत महत्व दिया गया है, भावना के माध्यम से ही उसके परिणाम रहते हैं। अतः भावना भाना आवश्यक है क्योंकि यह लाभदायक है लेकिन भावना आकुलता रहित होना चाहिए वरना वह हानिकारक ही होती है।
अतः जीवन में भावना आकुलता रहित होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।