भेद-विज्ञान


गृहस्थों का भेद-विज्ञान यानि –

1. आत्मा/शरीर अलग अलग हैं, ऐसी मान्यता मानना, अनुभवन नहीं ।
2. दूसरों की वस्तुओं को अपना नहीं मानना ।

मुनि श्री सुधासागर जी

Share this on...

One Response

  1. भेद-विज्ञान- -शरीर आदि पर द़व्यों से आत्मा भिन्न है। ऐसा अनुभव या ज्ञान होना भेद-विज्ञान है।
    अतः यह कथन सत्य है कि आत्मा और शरीर अलग अलग हैं ऐसी मान्यता मानना है और दूसरों की वस्तुओं का अपना नहीं मानना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

January 11, 2020

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031