भोग

चासनी के बीच मक्खी कूदी, लिपटी, मर गयी,
दूसरी चासनी के किनारे बैठी, खायी, उड़ गयी ।
मिथ्यादृष्टि/सम्यग्दृष्टि में ऐसा ही अंतर होता है, मिथ्यादृष्टि चाव से, सम्यग्दृष्टि बचाव करते हुये भोगता है ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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