दृष्टि-मंगल – जैसे मछली दृष्टि से अंडों को ऊर्जा देती है, वैसे ही भगवान की मूर्ति भक्तों को ।
शब्द-मंगल – टिटहरी/पूजादि ।
स्पर्श-मंगल – चिड़िया अंडों को/गुरु की वैयावृत्ती ।
स्मरण-मंगल – कछवी अपने बच्चों को/ सिद्ध भगवान के स्मरण से ऊर्जा प्राप्त करना ।
(जया)
Share this on...
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि मंगल का होना जीवन में सब कुछ ठीक रहेगा। जीवन में द्वष्टि मंगल होगी, जैसे भगवान् की मूर्ति भक्तों को मंगल बना देती है,इसी प्रकार शब्द मंगल,स्पर्श मंगल और स्मरण मंगल, यदि सिद्व भगवान् को याद करते हैं तो जीवन में ऊर्जा प्राप्त होती है।
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि मंगल का होना जीवन में सब कुछ ठीक रहेगा। जीवन में द्वष्टि मंगल होगी, जैसे भगवान् की मूर्ति भक्तों को मंगल बना देती है,इसी प्रकार शब्द मंगल,स्पर्श मंगल और स्मरण मंगल, यदि सिद्व भगवान् को याद करते हैं तो जीवन में ऊर्जा प्राप्त होती है।