मंज़िल

लोग मंज़िल को मुश्किल समझते हैं,
हम मुश्किल को मंज़िल समझते हैं |
बडा फ़र्क है लोगों में और हम मैं,
लोग ज़िंदगी को दोस्त और हम दोस्त को ज़िंदगी समझते हैं ||
आदतें अलग हैं हमारी दुनियाँ वालों से,
कम दोस्त रखते हैं मगर लाज़वाब रखते हैं |
क्योंकि बेशक हमारी माला छोटी है,
पर फूल उसमे सारे गुलाब रखते हैं ||

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