मन:पर्यय

विपुलमती मन:पर्यय ज्ञानी वर्धमान चारित्री ही होते हैं, अत: वे उपशम श्रेणी आरोहण नहीं करते ।
यदि वे उपशम श्रेणी आरोहण करेंगे तो यथाख्यात चारित्र पर पहुंचने पर नियम से नीचे आना पड़ेगा तब वर्धमान चारित्र नहीं रह पायेगा ।

पं. मुख्तार जी – 278

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