मनुष्य आयुबंध के बाद यदि मायाचारी की तो स्त्री पर्याय मिलेगी,
यदि वासना की अधिकता रखी तो नपुंसक ।
पं.रतनलाल बैनाड़ा जी
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मायाचारी का मतलब दूसरों के लिए छल,कपट किये जातें हैं वही मायाचारी है। अतः श्री प़माण सागर महाराज ने सत्य बताया है कि मायाचारी से तिर्यंच पर्याय ही मिलती है। अतः उक्त कथन सत्य है मनुष्य आयुबंध के बाद मायाचारी करता है तो स्त्री पर्याय मिल सकती हैं, यदि अधिकता वासना में करता है तो नपुंसक पर्याय मिलती हैं। जीवन में मायाचारी से बचना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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मायाचारी का मतलब दूसरों के लिए छल,कपट किये जातें हैं वही मायाचारी है। अतः श्री प़माण सागर महाराज ने सत्य बताया है कि मायाचारी से तिर्यंच पर्याय ही मिलती है। अतः उक्त कथन सत्य है मनुष्य आयुबंध के बाद मायाचारी करता है तो स्त्री पर्याय मिल सकती हैं, यदि अधिकता वासना में करता है तो नपुंसक पर्याय मिलती हैं। जीवन में मायाचारी से बचना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।