मार्ग
मार्ग – दो
1. साधना – दृढ़ इच्छा वालों के लिये, कुछ लोग ही कर पाते हैं।
अपने भुजबल से नदी पार करना।
2. आराधना – सामान्य व्यक्तियों के लिये नाव/ट्यूब के सहारे नदी पार करना।
भवसागर दोनों ही से पार कर सकते हैं, पहले आराधना फिर साधना से।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि धर्म के दो मार्ग होते हैं, साधना एवं आराधना। साधना कुछ ही लोग कर सकते हैं, द्वढ इच्छा वालों के लिए होता है। उपरोक्त साधना साधुओं द्वारा की जाती है। आराधना का मार्ग सामान्य व्यक्तियों अथवा श्रावकों केवल लिए होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि भवसागर दोनों ही पार लगा देते हैं, इसलिए पहिले आराधना से शुरू कर साधना की और बढ़ सकते हैं। अतः श्रावकों को कल्याण के लिए आराधना से प्रारम्भ करना आवश्यक है।