मिश्र-वर्गणायें

आचार्य श्री के अनुसार ये भिन्न प्रकार की होती हैं क्योंकि सर्वार्थसिद्धि में सप्तविध वर्गणायें बतायी हैं, 7वीं मिश्र होने पर ही बनेंगी।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड- गाथा 20 )

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6 Responses

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने मिश्र वर्गणायें का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

    1. औदारिक, वैक्रियक, आहारक, तैजस, भाषा, मनोवर्गणायें ये 6 हमारे काम की वर्गणायें हैं । 7 बनाने के लिए मिश्र वर्गणायें मानना होगा ।

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