मुखर मौन

भगवान/सच्चे गुरु बोलना नहीं चाहते हैं, भक्तों के पुण्य बुलवा लेते हैं ।
2) बड़े बच्चों से कहते हैं – शोर मत करो, मैं सो रहा हूँ ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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6 Responses

  1. मुखर मौन का तात्पर्य आत्मा में लीन होना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि भगवान् और सच्चे गुरु बोलना नहीं चाहते हैं, बल्कि भक्तों के पुण्य बुलवा देते हैं। भगवान् मौन से लीन होकर तपस्या करके अपने सभी विकारों को समाप्त कर लेते हैं, जबकि गुरु मौन रहकर तपस्या करके अपने विकारों को समाप्त करने में लगे रहते हैं। भगवान् और मुनि, सभी को जीवन के कल्याण के लिए उनके पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। मौन रहने का कारण सभी को कहा गया है कि शोर मत करो क्योंकि तपस्या में बाधा नहीं डालना चाहिए।

    1. “मैं सो रहा हूँ”…पर बोल रहा है;
      ये भी एक प्रकार का मुखर मौन ही हुआ न !

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