मुनि तो रूठे हुये बच्चे जैसे आहार लेते हैं, छोड़ने के बहाने ढ़ूँढ़ते रहते हैं ।
सतीश – ग्वालियर
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मुनियों की आहार की भूमिका अलग रहती है,आहार सिर्फ आत्मा की पुष्टि के लिए लेते हैं,साथ में कुछ नियम लेकर निकलते हैं, यदि नियम नहीं मिलता है तो बिना आहार के वापिस हो जाते हैं। इसमें 1/3 हिस्सा भोजन 1/3 हिस्सा जल और शेष हवा रहती है। अतः उक्त कथन सत्य है कि मुनि रुठे हुए से आहार लेते हैं, और छोड़ने के बहाने ढूंढते रहते हैं। लेकिन यह सत्य है कि बहाने नहीं ढूंढते हैं लेकिन नियम न मिलने के कारण आहार नहीं लेते हैं, जिसके कारण लोग बच्चों के रुठने का बहाना मानते हैं।
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मुनियों की आहार की भूमिका अलग रहती है,आहार सिर्फ आत्मा की पुष्टि के लिए लेते हैं,साथ में कुछ नियम लेकर निकलते हैं, यदि नियम नहीं मिलता है तो बिना आहार के वापिस हो जाते हैं। इसमें 1/3 हिस्सा भोजन 1/3 हिस्सा जल और शेष हवा रहती है। अतः उक्त कथन सत्य है कि मुनि रुठे हुए से आहार लेते हैं, और छोड़ने के बहाने ढूंढते रहते हैं। लेकिन यह सत्य है कि बहाने नहीं ढूंढते हैं लेकिन नियम न मिलने के कारण आहार नहीं लेते हैं, जिसके कारण लोग बच्चों के रुठने का बहाना मानते हैं।