मैं
मैं के साथ विशेषण “अह्म” को जन्म देता है, हटते ही/”मैं” को “मैं रूप” देखते ही “अर्हम” आ जाता है।
“अह्म” से “अर्हम” तक की यात्रा ही मोक्षमार्ग है।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
मैं के साथ विशेषण “अह्म” को जन्म देता है, हटते ही/”मैं” को “मैं रूप” देखते ही “अर्हम” आ जाता है।
“अह्म” से “अर्हम” तक की यात्रा ही मोक्षमार्ग है।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी