1. संसार से डरना, मन की फितूरी संयमियों की संगति से दूर हो जाती है।
2. आयतन में रहना/ पचना/ रमना, अनायतन से बचना।
तब कोई आपका बाल-बाँका (बाल मोड़ना) भी नहीं कर पायेगा।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का मोक्षमार्ग का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन का कल्याण करना हो बैराग्य की भावना करके मोक्षमार्ग पर चलना परम आवश्यक है!
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का मोक्षमार्ग का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन का कल्याण करना हो बैराग्य की भावना करके मोक्षमार्ग पर चलना परम आवश्यक है!