मोक्ष
स्व-नियंत्रण की पूर्णता ही मोक्ष है ।
नियंत्रण हो निज पै, दीप बुझे स्व सांस से (अनियंत्रण से) ।
आचार्य श्री विद्यासागर ञजी
स्व-नियंत्रण की पूर्णता ही मोक्ष है ।
नियंत्रण हो निज पै, दीप बुझे स्व सांस से (अनियंत्रण से) ।
आचार्य श्री विद्यासागर ञजी
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मोक्ष- -समस्त कर्मों से रहित आत्मा की विशुद्ध अवस्था का नाम है।जब आत्मा कर्ममल कंलक और शरीर को अपने से सर्वथा जुदाकर देता है तब उसके स्वाभाविक अनंत ज्ञानादि गुण और अव्याबाध सुख रुप अवस्था उत्पन्न होती है वह मोक्ष कहते हैं।
अतः उक्त कथन सत्य है कि स्व-नियंत्रण की पूर्णता ही मोक्ष है। नियंत्रण हो निज पै,दीप बुझे स्व सांस से( अनियंत्रिण से ) ।