मोहनीय

चारित्र और दर्शन मोहनीय आपस में (साता/ असाता की तरह) संक्रमित तो नहीं होते।
पर एक दूसरे को प्रभावित ज़रूर करते हैं।

मुनि श्री सुधासागर जी

Share this on...

8 Responses

  1. मुनि महाराज श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि चारित्र और दर्शन मोहनीय आपस में असाता की तरह संक़मित नहीं होते हैं! लेकिन एक दूसरे को प़भावित जरुर करते हैं! अतः जीवन में मोहनीय कर्म को समाप्त करना है!

    1. भरत चक्रवर्ती के दर्शनमोहनीय 100/100 था पर चारित्रमोहनीय below average.
      आपस में संक्रमित नहीं हुए।

  2. ‘भरत चक्रवर्ती के ‘दर्शनमोहनीय’100/100 था पर ‘चारित्रमोहनीय’ below average’. Yahan par ‘दर्शनमोहनीय’ aur ‘चारित्रमोहनीय’ ke kshayopasham ki baat ho rahi hai, na ?

  3. भरत चक्रवर्ती के दर्शनमोहनीय का ही तो प्रभाव था कि वे बाहुबली से क्षमा मांगने पहुंच गए।

  4. Okay. What about my previous doubt of 14.02.2023, reposted as :

    ‘‘भरत चक्रवर्ती के ‘दर्शनमोहनीय’100/100 था पर ‘चारित्रमोहनीय’ below average’. Yahan par ‘दर्शनमोहनीय’ aur ‘चारित्रमोहनीय’ ke kshayopasham ki baat ho rahi hai, na ?” Similarly,

    “भरत चक्रवर्ती के दर्शन मोहिनी का ही तो प्रभाव था कि वे बाहुबली से क्षमा मांगने पहुंच गए।’ Yahan par bhi, ‘दर्शनमोहनीय’ ke kshayopasham ki baat ho rahi hai, na ?”

    1. दर्शनमोहिनीय ही तो क्षय हो गया था। सो क्षयोपशम नहीं लगेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

January 17, 2023

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30