मोह / अभिमान

प्रभु के रोज़ दर्शन करते हैं। उनसे जुड़ क्यों नहीं पाते जबकि संसारियों से तुरंत जुड़ जाते हैं।
कारण ?
मोह और अभिमान।
मोह से संसार छूट नहीं पाता, अहम् अर्हम से मिलने नहीं देता।

आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी (8 नवम्बर)

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6 Responses

  1. ‘अभिमान’ ke alaawa baaki teen kashay bhi to ‘अर्हम’ se milne nahi deti ? Ise clarify karenge, please ?

  2. आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने मोह एवं अभिमान को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए मोह एवं अभिमान का त्याग करना परम आवश्यक है।

    1. नॉर्मली अरहंत और सिद्ध। वैसे 5 परमेष्ठी भी लिए जा सकते हैं।

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