मोह तोड़ना
इसके 2 तरीके हैं –
1. स्थूल – बाह्य; जैसे खलबट्टे से दलिया बनता है, आसान है, यह बुद्धि के स्तर पर होता है ।
2. सूक्ष्म – अंतरंग; जैसे मशीन से आटा बन जाता है, यह ध्यान के द्वारा होता है, एकत्व भाव से/स्वरूप जानकर ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मोह के उदय से जीव मिथ्याद्वष्टि और रागी द्वेषी हो जाता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि मोह को तोड़ने के दो तरीके हैं। प़थम स्थूल-बाह्म जैसे खलबट्टे से दलिया बनाना आसान है,यह बुद्वि के स्तर का होता हैं लेकिन दूसरा सूक्ष्म जो अंतरग होता है जैसे मशीन से आटा बन जाता है लेकिन यह सब ध्यान के द्वारा ही होता है जिसमें एकत्व भाव से और स्वरुप जानकर ही संभव है।
“खलबट्टे” word hai ya “Silbatte”?
सिलबट्टा = सिल+बटना(लोड़ी) = चटनी पीसने के लिए
खलबट्टा = खल्लड़+मूसल = अनाजों के टुकड़े करने के लिए ।
यहाँ/ इस संदर्भ में खलबट्टा ही आयेगा ।
Okay.