आत्मा का जिस समय जो प्रयोग होगा वही योग तथा उपयोग होगा ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
योग – मन, वचन काय की क्रियायें । उपयोग – मुख्यत: मन का ( संज्ञियों की अपेक्षा ) । लगातार बोलते समय यदि विचार आए तो मनयोग और बोलना तो संस्कारवश चलता रहता है ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
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