योग यानि जोड़ (जैसे Voucher के नीचे लिखते हैं) ।
किसका ?
मन, वचन, काय को आत्मा से जोड़ना ।
कैसे ?
मन, वचन, काय की संसारिक क्रिया से आत्मा में परिस्पंदन के द्वारा, कर्म आत्मा से जुड़ जाते हैं ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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योग- – मन,वचन,काय के द्वारा होने वाले आत्म प़देशो के परिस्पन्दन को कहते हैं अथवा मन वचन काय का प़वृति के लिए जीव का प्रयत्न विशेष योग कहलाता है। यह शुभ और अशुभ दोनों रुप होते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि मन, वचन,काय की सांसारिक क़िया से आत्मा में परिस्पदन के द्वारा,कर्म आत्मा से जुड़ जाते हैं।
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योग- – मन,वचन,काय के द्वारा होने वाले आत्म प़देशो के परिस्पन्दन को कहते हैं अथवा मन वचन काय का प़वृति के लिए जीव का प्रयत्न विशेष योग कहलाता है। यह शुभ और अशुभ दोनों रुप होते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि मन, वचन,काय की सांसारिक क़िया से आत्मा में परिस्पदन के द्वारा,कर्म आत्मा से जुड़ जाते हैं।