ज्ञान को बीच की ऊंगली, श्रद्धा तर्जनी, चारित्र अनामिका से दर्शाया जाता है। श्रद्धा तथा चारित्र के बिना ज्ञान उपयोगी नहीं।
गुरुवर मुनि श्री क्षमा सागर जी
बीच की उँगली में fracture होने पर उसे तर्जनी तथा अनामिका के साथ plaster किया जाता है।
डाॅ. एस. एम. जैन
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रत्नत्रय वाले साधु के श्रद्वा तथा चारित्र रखने से ज्ञान की वृद्धि होती है! रत्नत्रय वालो को पाचों उगली समान लगती है, क्योंकि हर उगली का अलग अलग स्थान रहता है! श्रावकों को भी उंगलियाँ का महत्व समझना अत्यन्त महत्वपूर्ण है!
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रत्नत्रय वाले साधु के श्रद्वा तथा चारित्र रखने से ज्ञान की वृद्धि होती है! रत्नत्रय वालो को पाचों उगली समान लगती है, क्योंकि हर उगली का अलग अलग स्थान रहता है! श्रावकों को भी उंगलियाँ का महत्व समझना अत्यन्त महत्वपूर्ण है!