लेश्या
नारकी और देवों की द्रव्य तथा भाव लेश्या बदलती नहीं है,
जबकि मनुष्य और त्रियंचों की दोनों बदलती रहती हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
नारकी और देवों की द्रव्य तथा भाव लेश्या बदलती नहीं है,
जबकि मनुष्य और त्रियंचों की दोनों बदलती रहती हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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लेश्या—जो आत्मा को शुभाशुभ कर्मों से लिप्त करे।लेश्या छह प़कार की होती हैं जिनमें तीन कृष्ण,नील और कपोल यह अशुभ होती हैं जबकि तीन नील,पद्म और शुक्ल शुभ लेश्याए शुभ होती हैं।
नारकी और देवों की द़व्य तथा भाव लेश्याए बदलतीं नहीं है जबकि मनुष्य और त्रियंचो की दोनों बदलतीं रहतीं हैं।