विग्रह गति में भाव लेश्या छहों हो सकती हैं,
पर द्रव्य लेश्या कापोत ही होती है ।
पं रतनलाल बैनाड़ा जी
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लेश्या—जो आत्मा को शुभाशुभ कर्मों से लिप्त करें उसे कहते हैं।
लेश्या छह होती है जिनमें तीन कृष्ण,नील और कपोल अशुभ होती हैं जबकि तीन पद्म,पीत और शुक्ल यह सब शुभ होती हैं। विग़ह गति—विग़ह का अर्थ शरीर है पूर्व भव के शरीर को छोड़कर नवीन शरीर को ग्रहण करने के लिए जो गमन करता है उसे विग़हगति कहते हैं। विग़ह गति में भाव लेश्या छहों हो सकती है, पर द़व्य लेश्या कपोत ही होती हैं।
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लेश्या—जो आत्मा को शुभाशुभ कर्मों से लिप्त करें उसे कहते हैं।
लेश्या छह होती है जिनमें तीन कृष्ण,नील और कपोल अशुभ होती हैं जबकि तीन पद्म,पीत और शुक्ल यह सब शुभ होती हैं। विग़ह गति—विग़ह का अर्थ शरीर है पूर्व भव के शरीर को छोड़कर नवीन शरीर को ग्रहण करने के लिए जो गमन करता है उसे विग़हगति कहते हैं। विग़ह गति में भाव लेश्या छहों हो सकती है, पर द़व्य लेश्या कपोत ही होती हैं।