विज्ञान/वीतराग-विज्ञान
विज्ञान आगे बढ़ना चाहता है/बढ़ता भी है पर संस्कृति को कुचलते हुए ।
वीतराग-विज्ञान आगे बढ़ाता है संस्कृति को संरक्षण देते हुए ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
विज्ञान आगे बढ़ना चाहता है/बढ़ता भी है पर संस्कृति को कुचलते हुए ।
वीतराग-विज्ञान आगे बढ़ाता है संस्कृति को संरक्षण देते हुए ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि विज्ञान आगे बढना चाहता है एवं बढता भी है,पर संस्कृति को कुचलते हुए। वीतराग विज्ञान आगे बढता है, लेकिन संस्कृति को संरक्षण अवश्य देता है। अतः वीतराग विज्ञान पर आस्था एवं श्रद्वा करने पर ही जीवन का कल्याण हो सकता है।