विस्तार की कैद
एक राजा ने हिरनी के बच्चे का शिकार किया।
हिरनी ने श्राप दिया → तेरा बच्चा जब स्वच्छंद घूमने लगे तब वह भी मारा जाय।
राजा बच्चे को पिंजड़े में रखने लगा। बच्चा बड़ा होता गया, पिंजड़ा भी; इससे होगा ये कि बच्चा कभी नहीं जान पायेगा कि वह कैद में है।
क्या हम सब लोक(संसार) के पिंजड़े में कैद नहीं है ?
बस ! अपने को कैदी मानते नहीं है।
ब्र. डॉ. नीलेश भैया