व्यवहार = फूल,
निश्चय = फल ।
आचार्य श्री – फूल का रक्षण हो, फल का भक्षण ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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यह कथन सत्य है कि व्यवहार फूल के समान है लेकिन निश्चय फल के समान है।अतः आचार्य द्वारा कथन कि फूलो का रक्षा करना चाहिए एवं फल का भक्षण करते हैं लेकिन भक्षण करते समय पाप पुण्य का ध्यान रखना आवश्यक है।व्यवहार और निश्चय समझने के लिए अनेकांत को समझना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।
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यह कथन सत्य है कि व्यवहार फूल के समान है लेकिन निश्चय फल के समान है।अतः आचार्य द्वारा कथन कि फूलो का रक्षा करना चाहिए एवं फल का भक्षण करते हैं लेकिन भक्षण करते समय पाप पुण्य का ध्यान रखना आवश्यक है।व्यवहार और निश्चय समझने के लिए अनेकांत को समझना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।