व्रतादि
किसी भी कार्य की पूर्णता के लिए चार चीज़ें आवश्यक हैं…
सुद्रव्य, सुक्षेत्र, सुकाल, सुभाव
इष्टोपदेश(श्लोक 3) में व्रतादि भी बताए हैं।
जब चारों चीज़ें मिल गईं तो व्रतादि की आवश्यकता क्यों ?
जब तक कार्य की सिद्धि न हो जाय, समय कहाँ बिताएँ ?
व्रती स्वर्ग में बितायेंगे, अव्रती नरक में।
आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी(22 अक्टूबर)