मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने व़त का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। जैन दर्शन में तप, पूजा, सामयिक, ध्यान एवं चिंतन करना परम आवश्यक है। Reply
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने व़त का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। जैन दर्शन में तप, पूजा, सामयिक, ध्यान एवं चिंतन करना परम आवश्यक है।