जिनसे मेरे कर्म कटें वे मेरे शत्रु कैसे !
जिनसे मेरे कर्म बंधे वे मेरे मित्र कैसे !!
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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मित्र वही जो हर समय आपके साथ हमेशा काम आता है, जबकि शत्रु वही जो हमेशा दगा करता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि जिसने हमारे कर्म काटे वही मित्र होता है, जबकि जो कर्म बांधता है वही शत्रु होता है। अतः जीवन में मित्र की पहिचान करना चाहिए ताकि जीवन में कल्याण हो सकता है।
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मित्र वही जो हर समय आपके साथ हमेशा काम आता है, जबकि शत्रु वही जो हमेशा दगा करता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि जिसने हमारे कर्म काटे वही मित्र होता है, जबकि जो कर्म बांधता है वही शत्रु होता है। अतः जीवन में मित्र की पहिचान करना चाहिए ताकि जीवन में कल्याण हो सकता है।