शरीर परिग्रह
ऊपर-ऊपर के देवों में शरीर तथा परिग्रह हीन होते जाते है (तत्त्वार्थ सूत्र – 4/21)।
उसमें परिग्रह से पहले शरीर लिया।
कारण ?
1. शरीर मुख्य परिग्रह है।
2. शरीर से ही परिग्रह का सुख भोगा जाता है।
ऊपर-ऊपर साधन सीमित पर गुणवत्ता बेहतर होती जाती है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र – 4/21)
One Response
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने शरीर परिग्रह का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।