शरीर

शरीर स्वर्णयुक्त पाषाण है, मूल्यवान है ।
तपा लिया तो शुद्ध स्वर्ण निखर आता है, बहुमूल्य की प्राप्ति हो जाती है ।
निमित्त ना मिलने/पुरुषार्थ ना करने पर प्रथम अवस्था में ही पड़ा रहता है ।

चिंतन

Share this on...

4 Responses

  1. उक्त कथन सत्य है कि शरीर स्वर्ण युक्त पाषाण है जो मूल्यवान है। इसलिए सोने को तपाते है शुद्व स्वर्ण मे निखार आ जाता है,और बहुमूल्य हो जाता है।अतः शरीर को निमित्त न मिले लेकिन पुरुषार्थ तो करना आवश्यक है अन्यथा प़थम अवस्था में रह पाओगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

June 27, 2020

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930