शांतिधारा तभी पढ़नी चाहिये जब भगवान पर जलधारा पड़ रही हो, अन्यथा पढ़ने का वैसा ही असर होगा जैसे पत्थर कटिंग, बिना जलधारा के ब्लेड़ टूट जाते हैं, पत्थर कटता नहीं ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
Share this on...
One Response
शांतिधारा जो भगवान् पर की जाती है यह गंधोदक मष्तिक में लगने से जीवन में पवित्रता आती है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि शांतीधारा, तभी पढ़ना चाहिए जब जल की धारा भगवान् पर पड़ रही हो,अन्यथा पढ़ने का लाभ नहीं होगा। जैसे पत्थर को काटने के लिए जलधारा की आवश्यकता है क्योंकि ब्लेड टूट जाते हैं, जिसके कारण पत्थर कटने में असमर्थ रहता है।
One Response
शांतिधारा जो भगवान् पर की जाती है यह गंधोदक मष्तिक में लगने से जीवन में पवित्रता आती है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि शांतीधारा, तभी पढ़ना चाहिए जब जल की धारा भगवान् पर पड़ रही हो,अन्यथा पढ़ने का लाभ नहीं होगा। जैसे पत्थर को काटने के लिए जलधारा की आवश्यकता है क्योंकि ब्लेड टूट जाते हैं, जिसके कारण पत्थर कटने में असमर्थ रहता है।