रूपक – एक बार भगवान ने सब कुछ बाँटा, बस एक चीज अपने पैरों के नीचे दबा ली, वह थी “शांति” ।
इसलिये “शांति”, शांतिनाथ भगवान के चरणों में ही मिलती है।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि भगवान् ने एक चीज नहीं बाँटी थी,जो वास्तव में शांति थी। अतः जीवन में शांति के लिए शान्तीनाथ भगवान् के चरणों में, उनके प़़ति विशुद्वी भाव आराधना करना चाहिए ताकि शांति मिल सकती है। भगवान् किसी को कुछ नहीं देते हैं,न ही लेते हैं। अतः धर्म से जुड़कर जो उनके द्वारा उपदेश दिए गए हैं,उनका अनुकरण करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। शांति का मतलब जीवन मे जो मिला है उसको पर्याप्त समझना चाहिए ताकि जीवन में हमेशा शांति रहेगी।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि भगवान् ने एक चीज नहीं बाँटी थी,जो वास्तव में शांति थी। अतः जीवन में शांति के लिए शान्तीनाथ भगवान् के चरणों में, उनके प़़ति विशुद्वी भाव आराधना करना चाहिए ताकि शांति मिल सकती है। भगवान् किसी को कुछ नहीं देते हैं,न ही लेते हैं। अतः धर्म से जुड़कर जो उनके द्वारा उपदेश दिए गए हैं,उनका अनुकरण करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। शांति का मतलब जीवन मे जो मिला है उसको पर्याप्त समझना चाहिए ताकि जीवन में हमेशा शांति रहेगी।