आर्यिका को उत्कृष्ट ज्ञान – 11 अंग तक का हो सकता है ;
(चक्रवर्ती की पत्नि सुलोचना को आर्यिका बनने पर हुआ था )
पर ऐलक को 11 अंग का ज्ञान नहीं होगा ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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आर्यिका-गुरु की आज्ञा में रहकर अहिंसा आदि पांच महाव़तो का यथा योग्य पालन करने वाली श्रेष्ठ महिलाओ को कहते हैं।
ऐलक-जो श्रावक की समस्त प़तिमाओं का पालन करते हैं, उनके शरीर पर एक मात्र कौपीन रुप धारण करते हैं।
अतः आर्यिका का उत्कृष्ट ज्ञान 11 अंग तक हो सकता है,लेकिन ऐलक को 11 अंग का ज्ञान नहीं हो सकता है।
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आर्यिका-गुरु की आज्ञा में रहकर अहिंसा आदि पांच महाव़तो का यथा योग्य पालन करने वाली श्रेष्ठ महिलाओ को कहते हैं।
ऐलक-जो श्रावक की समस्त प़तिमाओं का पालन करते हैं, उनके शरीर पर एक मात्र कौपीन रुप धारण करते हैं।
अतः आर्यिका का उत्कृष्ट ज्ञान 11 अंग तक हो सकता है,लेकिन ऐलक को 11 अंग का ज्ञान नहीं हो सकता है।