शिष्य
सच्चा शिष्य वह, जो गुरु का मुख नहीं, पीठ चाहे;
गुरु प्रतिकूल हों, पर शिष्य अनुकूल रहे/उसका अनुसरण करे, बिना गुरु की कृपादृष्टि पाये भी ।
सच्चा शिष्य वह, जो गुरु का मुख नहीं, पीठ चाहे;
गुरु प्रतिकूल हों, पर शिष्य अनुकूल रहे/उसका अनुसरण करे, बिना गुरु की कृपादृष्टि पाये भी ।
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गुरु का सच्चा शिष्य वही हो सकता है जो अपने को समर्पण कर देता है।समर्पण का तात्पर्य अपनी इच्छायों का पूरी तरह समर्पण करना चाहिए।गुरु के आदेशों का पालन करना चाहिए तभी सच्चा शिष्य हो सकता है।