शिष्य / भक्त

शिष्य जो गुरु चरणों में चढ़ जाये, यानी गुरु दर्शन करके लौट न पाये।
भक्त गुरु दर्शन करके लौट जाये।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने शिष्य एवं भक्त का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। आजकल भक्त तो बहुत बन जाते हैं, लेकिन शिष्य बनना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। शिष्य को गुरुओं के प़ति श्रद्वा एवं समपर्ण होना आवश्यक है।

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