शील * = स्वभाव में रहना/ ब्रम्हचर्य/ महाव्रत। ष्व = बहुवचन। अनतिचार = अतिक्रम, वृतिक्रम, अतिचार, अनाचार रहित।
प्रकाश छाबड़ा
* अहिंसादि व्रतों की रक्षा के लिये क्रोधादि कषायों का त्याग –
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
‘अतिक्रम’ aur ‘वृतिक्रम’ kya hote hain ?
अतिक्रमण = व्रतों के प्रति तोड़ने के भाव। वृतिक्रम = तोड़ने के प्रयास तो करना पर तोड़ना नहीं।
Okay.
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3 Responses
‘अतिक्रम’ aur ‘वृतिक्रम’ kya hote hain ?
अतिक्रमण = व्रतों के प्रति तोड़ने के भाव।
वृतिक्रम = तोड़ने के प्रयास तो करना पर तोड़ना नहीं।
Okay.